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Wednesday, February 14, 2024

Sumi n Sunny

In a town where love was scarce, and dreams were few

A girl named Sumi, her heart pure and true

Then along came Sunny, with a smile so bright

Their worlds collided, igniting sparks of light


Sumi and Sunny, a love story so divine

Dancing through the rain, hand in hand for all time

Together they'll conquer, their love will never fade

Sumi and Sunny, an eternal serenade


Sumi and Sunny, a love story so divine

Dancing through the rain, hand in hand for all time

Together they'll conquer, their love will never fade

Sumi and Sunny, an eternal serenade...

Sunday, September 30, 2018

बाबा और सूमि

थकावट के बाद का आराम,
सुबह की पहली किरण,
गर्मी में माँ के हाथों की नींबू पानी...


जागते रहने का हसीन बहाना
साल की पहली बारिश
जवान बेटे को बाप का गले लगाना...

खुद से ना डरने का डर
कार्तिक की पहली ठिठुरन
इश्क़ के ज़िन्दगी होने का पहला एहसास...

वो हो तुम दोनों... 


                            -सूरज 

Monday, July 30, 2018

है ना?

है ना ? 




तुम कल फिर से आये थे सपने में,
अब तक कुछ अधूरा सा है शायद, है ना?

वो अनकही, आधे पौने से वादें,
अब भी कहीं न कहीं छिपे बैठें हैं दिल मे, है ना?

फ़ोन के जाले लगे कोने को साफ कर वापस गले लगाने को सोंचा,
तुमने भी किसी दिन फ़ोन, इसी तरह उठाया होगा, है ना?

मेरे फिल्म के एन्ड क्रेडिट्स मे आने वाले पहले कुछ नामों में,
तुम शामिल हो, ऐसा तुमने भी चाहा था, है ना?

कई सवाल आज भी हैं, घर कर बैठे, पर अब,
जवाबों की ना चाहत है, ना जरुरत, है ना?

वैसे भी हर हसीन ख्वाब गर पूरे होते तो,
ये दुनिया जैसी है वैसी नहीं होती, है ना?


                                                         - सूरज 


निशिता बहुत बहुत  धन्यवाद, इतने सालों बाद वापस  ये जो कुछ लिखा उसका श्रेय तुमको है। 

Monday, August 25, 2014

जानती हो


जानती हो, बहुत कुछ है
जो कहना चाहता हूँ
शायद हर पल, यही सोचता हूँ
पर नही कहता, और कहूं भी ना
पर नही कहता, और कहूं भी ना


जानती हो, क्यों? नही पता!
सोचती होगी न जाने क्या क्या
क्या हुआ है, क्यों ऐसी ख़ामोशी है
पर समझ नही पाती, और समझो भी ना
पर कहता नही, और कहूं भी ना


जानती हो, डरता हूँ अब
कहने से उसे, जो तुम हो
बन जाता हूँ तुम, अब मै
और कह देता हूँ सब, तुमको,
पर नही कहता तुमको, और कहूं भी ना


जानती हो, प्यार अभी भी
तुमसे ही करता हूँ, करता रहूँगा
बस, एक और तु, जो मुझमे जीता है
पर नही कहता तुमको, और कहूं भी ना
... और कहूं भी ना



                            - कुमार प्रकाश सिहं 'सुरज'

Saturday, August 2, 2014

बादल




आसमां में देखता हूँ खुद को
बादलों से बन रहा हूँ
बन के है फिर बिखरना
फिर भी उभर रहा हूँ
फिर भी उभर रहा हूँ ...


समझूंगा मैं न कुछ भी
पर खुद को मौका दे रहा हूँ
खीच रहा है दिमाग ऐसे
जैसे सब खो रहा हूँ
फिर भी उभर रहा हूँ ...


इतर बितर छिटकना या जमना पसरना
वो बादल नहीं, मेरा है बिखरना
न हवाओं की गलती न मिज़ाज उनका
अपने गलतियों की सजा भुगत रहा हूँ
फिर भी उभर रहा हूँ...


हुआ मैं ओझल खुद की नजर से
पर है यकीं मैं  ज़िंदा अभी हूँ
बेअसर होंगी ये मौसम की अदाएं
तारों को अपना बिस्तर बना रहा हूँ
उभर फिर रहा हूँ, मै उभर रहा हूँ …


                                                -कुमार प्रकाश सिंह    'सूरज '



Saturday, July 5, 2014

तू हि सब है

तू हि सब है

मै जिस्म, तू रुह है
तू हमेशा है, मै कभी नही
तेरे होने से सब है
मेरा होना ही कुछ नही


तू थामे जो मुझको
तो जी लूँगा, ये है यकीं
गर ना मिली तू
फिर मेरी दुआ मे कुछ कमी


हर पल चाहा तुझे है
बस ये ईनायत, और कुछ मांगा नही
तेरे होने से सब है
मेरा होना ही कुछ नही


                                   -सूरज

Saturday, May 17, 2014

इंसानियत

इंसानियत



सांसें अगर है बाज़ारी तमाशा
तो हमको बिकना गवारा नहीं है
अपने अगर हैं जीने में मुसीबत
हम फिर इंसा कहलाते ही क्यों हैं


आदत हो चुकी है रौंदकर बढ़ जाना
यूँ चलने को पाँव हमें उसने बख़्शा नहीं है
डरना डराना ही दिखता है हरसू
ज़िन्दगी का फ़साना कतई ये नहीं है


फिकर की पहुँच सिक्को पे है जो ठहरी
गली के कुत्ते फिर हमसे भले हैं
तोहफों मुलाक़ातों से रुसवा मुहब्बत
तो हम फिर घर से निकलते ही क्यों हैं


आओ जीने की कोशिश करे हम
यूँ मरने को ज़िंदा कहते नहीं है
खुद को भुला कर बन जाओ सभी के
जीने का मकसद तो बस यही है
जीने का मकसद तो बस यही है...


                                                 - कुमार प्रकाश सिंह  'सूरज'